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Showing posts from January, 2025

पद्मावत की कथा

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‘पद्मावत ’ एक प्रेमाख्यानक महाकाव्य है. इसमें पद्मावत, रत्नसेन और नागमती की मार्मिक प्रेम कहानी वर्णित है. कहानी का पूर्वार्द्ध कल्पना प्रसूत है तो उत्तरार्द्ध ऐतिहासिक और यथार्थ. इसकी सम्पूर्ण कथा इस प्रकार है- सिंहलद्वीप के राजा गन्धर्वसेन और रानी चम्पावती के यहाँ पद्मावत का जन्म हुआ. पद्मावत जब बड़ी होने लगी तब उसके विवाह के प्रस्ताव आने लगे. गन्धर्वसेन नकारात्मक उत्तर देकर सबको लौटा देते हैं. बारह वर्ष की अल्पायु में ही पद्मावत वयस्क समझी जाने लगी. वह सात खण्डों वाले धवलगृह में अकेली रहने लगी. बोलने-बतियाने , खेलने-कूदने के लिए सखियाँ मिलीं. ज्ञान चर्चा के लिए गुणी और पण्डित स्वभाव वाला तोता हीरामन मिला. एक दिन उसने हीरामन से अपनी काम-विकलता और विवाह के प्रति पिता की उदासीनता का कारण पूछा. हीरामन ने योग्य वर ढूंढने के लिए पद्मावत से आज्ञा माँगा. लेकिन किसी दुर्जन ने इसकी जानकारी राजा तक पहुँचा दी. राजा ने तोते को मारने का आदेश दिया. पद्मावत ने किसी तरह उसे बचा लिया. हीरामन समझ गया कि अब पकड़ा गया तो जिंदा बचना मुश्किल है. वह डर गया था. एक दिन जब पद्मावत सखियों के साथ सरोवर में स्...

IITian बाबा: एक मूल्यांकन, भाग-2 : रमेश ठाकुर

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IITian बाबा का पिछले कुछ दिनों से लगातार वीडियो देख रहा हूँ। उसकी बहुत सारी बातें प्रभावित करती हैं। बात करते हुए जब वह हँसता है तो उसे देखकर दिल रोने लगता है। ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि एक हँसता-मुस्कुराता व्यक्ति आज सन्यासी के भेष में भटक रहा है? जब इस पर विचार करता हूँ तो जगत की धूर्तता, कटुता, बेईमानी मन को कचोटने लगती है।  वर्ष 1999 में टॉम हैंक्स की एक फिल्म आई थी। फिल्म का नाम The Green Mile है। इस फिल्म में एक John Coffey नाम का कैरेक्टर है, जिसका रोल Michael Clarke ने किया है। वह बिना किसी अपराध के जेल में बंद है। टॉम हैंक्स को जब पता चल जाता है कि यह आदमी निर्दोष है तो वह उसे बचाने की पूरी कोशिश करता है। लेकिन कॉफय जेल से बाहर नहीं निकलना चाहता। वह लोगों की धूर्तता, कटुता, मक्कारी, बेईमानी से इतना दुःखी है कि इस दुनिया से उसका मोहभंग हो जाता है। यही वजह है कि वह जेल से बाहर नहीं निकलता और अंत में एलेक्ट्रिक चेयर पर बैठकर मृत्यु को स्वीकार करता है। IITian बाबा की बात सुनकर, उसका खिलखिलाता हुआ चेहरा देखकर मुझे कॉफय की याद आती है। इस हँसी के पीछे उसने कितना दर्...

IITian बाबा: एक मूल्यांकन : रमेश ठाकुर

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गोस्वामी तुलसीदास पत्नी की फटकार से सन्यासी बन गए। पिता ने बालपन में ही त्याग दिया था। घर में काम करने वाली दासी ने उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया। तुलसी जब पाँच साल के हो गए तब भी पिता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया।  IITian बाबा प्रेम में धोखा मिलने के कारण सन्यासी बने। मीडिया में उसकी प्रेम कहानी के किस्से सर्कुलेट हो रहे हैं। उसकी बात सुनकर लगता है कि पिता से उसका संबंध अच्छा नहीं रहा है। माता-पिता को भगवान न मानकर वह कलयुग का ट्रैप मानता है। बहुत ठगा हुआ बाबा लगता है।  IITian बाबा बहुत पढ़ा-लिखा है। लेकिन क्या फायदा जब सारी विद्या धर्म को बचाने में खप जाए? मनुष्यत्व से बड़ा कोई धर्म नहीं। 'सबसे ऊपर मानुष सत्तो ताहर उपरे नाई' हम पढ़ चुके हैं। 'मानुष पेम भए वैकुंठी' से भी साहित्य के अध्येता भलीभांति परिचित हैं। समस्त मानव के कल्याण की कामना करने वाला मानव धर्म ही सर्वोत्तम धर्म है। हिन्दू-मुस्लिम आदि विभाजनकारी धर्म है। इस प्रकार के स्थूल धर्मों में विभक्त समाज को आपस में लड़ते-झगड़ते, एक-दूसरे से स्वयं को श्रेष्ठ बताकर डिंग मारते हुए देखकर यही लगता है। IITian बाबा स्...