पद्मावत की कथा

‘पद्मावत ’ एक प्रेमाख्यानक महाकाव्य है. इसमें पद्मावत, रत्नसेन और नागमती की मार्मिक प्रेम कहानी वर्णित है. कहानी का पूर्वार्द्ध कल्पना प्रसूत है तो उत्तरार्द्ध ऐतिहासिक और यथार्थ. इसकी सम्पूर्ण कथा इस प्रकार है- सिंहलद्वीप के राजा गन्धर्वसेन और रानी चम्पावती के यहाँ पद्मावत का जन्म हुआ. पद्मावत जब बड़ी होने लगी तब उसके विवाह के प्रस्ताव आने लगे. गन्धर्वसेन नकारात्मक उत्तर देकर सबको लौटा देते हैं. बारह वर्ष की अल्पायु में ही पद्मावत वयस्क समझी जाने लगी. वह सात खण्डों वाले धवलगृह में अकेली रहने लगी. बोलने-बतियाने , खेलने-कूदने के लिए सखियाँ मिलीं. ज्ञान चर्चा के लिए गुणी और पण्डित स्वभाव वाला तोता हीरामन मिला. एक दिन उसने हीरामन से अपनी काम-विकलता और विवाह के प्रति पिता की उदासीनता का कारण पूछा. हीरामन ने योग्य वर ढूंढने के लिए पद्मावत से आज्ञा माँगा. लेकिन किसी दुर्जन ने इसकी जानकारी राजा तक पहुँचा दी. राजा ने तोते को मारने का आदेश दिया. पद्मावत ने किसी तरह उसे बचा लिया. हीरामन समझ गया कि अब पकड़ा गया तो जिंदा बचना मुश्किल है. वह डर गया था. एक दिन जब पद्मावत सखियों के साथ सरोवर में स्...