अधर्म के खिलाफ धर्म की लड़ाई लड़ता है ‘बंदा’

घर की नींव और पेड़ों की जड़ मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ भी उसे नहीं उखाड़ सकतीं। ठीक उसी तरह झूठ चाहे कितना ही सामर्थ्यवान , बलवान क्यों न हो , यदि सच के लिए लड़ने वाला एक भी अदना-सा कमजोर और साधारण ‘ बंदा ’ अड़ जाए तो उसे धराशायी कर देता है। ‘ सिर्फ एक बंदा काफी है ’ का ‘ बंदा ’ यही करते हुए हमें दिखाई देते हैं। जिस दृढ़ता और निडरता के साथ वे तथाकथित बाबा से लड़ते हैं , वह निडरता डरे हुए समाज को उद्वेलित करती है और भविष्य में भी उसे ललकारती रहेगी। फिल्म की शुरुआत कमला नगर थाने से होती हैं जहाँ पीड़िता (नु सिंह) अपने माता-पिता के साथ बाबा के खिलाफ शिकायत करने जाती हैं। जिस महिला पुलिस के सामने पीड़िता रोजनामचा भरती है , वह महिला पुलिस अपने सीनियर अधिकारी को फोन चैट के माध्यम से इसकी सूचना देती है। दोनों के बीच हुई बातचीत इस प्रकार है- Sir, come high-profile case. Crime? Rape of minor. POCSO Filling Roznamcha Ok, file FIR after medical examination. इस बातचीत के बाद पीड़िता को मीडिया की भीड़ से बचाते हुए मेडिकल जाँच के लिए भेजा ...