Posts

Showing posts from December, 2021

'प्रवेश परीक्षा ही न्यायोचित है'

Image
  'प्रवेश परीक्षा ही न्यायोचित है'   दिल्ली विश्वविद्यालय नॉर्थ कैंपस के अध्यापक ने विवादास्पद बयान दिया कि  ‘ केरल बोर्ड जानबूझकर दिल्ली विश्वविद्यालय में वामपंथी विचारधारा थोपने के लिए अपने छात्रों को सौ प्रतिशत अंक देता है। ’  मुझे बाबा नागार्जुन की एक कविता  ‘ सच न बोलना ’  की कुछ पंक्तियाँ स्मरण हो आईं ,   जिसमें वे कहते हैं-  ‘ रोजी रोटी हक की बातें जो भी मुंह पर लाएगा ,  कोई भी हो ,  निश्चय ही वह कम्युनिस्ट कहलाएगा ’ । बातें तो पुरानी हैं ,  पर नई लगती हैं। क्या अपने अधिकारों की बात करना कम्युनिस्ट होना है ?  व्यवस्था से सवाल करना ,  रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना कम्युनिस्ट होना है ?  सवाल नहीं होगा तो संवाद कैसे होगा ?  संवाद नहीं होगा तो लोकतंत्र कैसे बचेगा ?  भारत एक लोकतांत्रिक देश है। प्रत्येक मनुष्य तथा सभी धर्मानुयायियों को अपनी बात कहने-सुनने का हक भारत का संविधान उसे देता है। क्या वर्तमान सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था आम नागरिकों को यह छूट देने के पक्ष में नहीं है ?  ...