इंसानियत के खिलाफ इंसान की लड़ाई है अवतार-2

" भरत कीन्ह यह उचित उपाऊ। रिपु रिन रंच न राखब काउ।।" अर्थात ‘ भरत ने यह उचित ही उपाय किया। शत्रु और ऋण को जरा भी शेष नहीं रखना चाहिए। नहीं तो वह बढ़ता ही जाता है। ’ लक्ष्मण को यह संदेह तब हुआ था जब भरत अपनी चतुरंगिणी सेना को लेकर राम से मिलने , उन्हें वापस बुलाने वन की ओर जा रहे थे। लक्ष्मण को लगता है कि भरत अयोध्या को निष्कंटक बनाने के उद्देश्य से उनकी तरफ आ रहे हैं। स्वयं राम भी थोड़े समय के लिए विचलित हुए थे और कहा था- "बहुरि सोचबस भे सियरवनू।कारन कवन भरत आगमनू" अर्थात ‘ क्या कारण है कि सेनाओं को लेकर भरत जंगल की ओर आ रहे हैं ?’ राजनीति विज्ञान का मनोविज्ञान ही यही है कि शत्रु को कभी जीवित नहीं छोड़ना चाहिए। वरना अवसर पाकर वह पलटवार जरूर करता है। ' अवतार: द वे ऑफ वाटर ' की शुरुआत इसी समस्या से होती है। ' अवतार ' में यह लड़ाई जहाँ पर खत्म हुई थी , इसकी शुरुआत वहीं से होती है। पहले भाग में जंगलवासियों ने आकासवासियों पर विजय हासिल की थी और कैदियों को वापस उसके अपने मुल्क भेज दिया था। इस फिल्म में वापस आए वही पराजित कैदी अपनी पूरी ताकत के साथ , पहले ...