सेलेक्टिव राष्ट्रवादी फिल्म है लालसिंह चड्डा

सेलेक्टिव राष्ट्रवादी फिल्म है लालसिंह चड्डा ‘ लाल सिंह चड्डा ’ स्पीनी कार की तरह है , जिसे आप न तो नई कार कह सकते हैं और न ही पुरानी कार। यानी इस फिल्म को न तो ‘ फॉरेस्ट गम्प ’ की नकल कहा जा सकता है और न ही इसका प्लॉट ‘ फॉरेस्ट गम्प ’ से ज्यादा अलग है। यह बिलकुल वैसा ही है कि बाप-दादा ने बड़ी मेहनत से घर की नींव डाली , उस पर भव्य इमारत खड़ा किया और बाद में बेटा उसकी सिर्फ पुताई कराने के बाद पिता से कहता है कि ‘ यह घर मेरा है। ’ बहुत-से लोग इसे ‘ फॉरेस्ट गम्प ’ की नकल मानने से इनकार कर रहे हैं। लेकिन ‘ लाल सिंह चड्डा ’ ने ‘ फॉरेस्ट गम्प ’ की पुताई ही की है। इसे स्वीकार कर लेने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हाँ , इस फिल्म के मेकर्स ने इसमें अपना नया रंग जरूर भरा है जो ‘ फॉरेस्ट गम्प ’ से इसे अलग करता है। ‘ लाल सिंह चड्डा ’ में किया गया बदलाव भारतीय दर्शकों की रुचि का परिणाम है। इसमें फिल्म वालों का उतना दोष नहीं है जितना कि हमारा है। करोड़ों रुपये लगाने वाले इस बात का जरूर ध्यान रखते हैं कि दर्शकों से उसकी भरपाई कैसे कराई जाए। अभी हाल ही में हॉलीवुड फिल्म ‘Little ...