सिंदूर की होली: लक्ष्मीनारायण मिश्र

सिंदूर की होली (1934): लक्ष्मीनारायण मिश्र मुख्य पात्र: राजनिकांत मनोजशंकर मुरारीलाल माहिर अली भगवंत सिंह हरनंदन सिंह चन्द्रकला मनोरमा डॉक्टर नाटक के मुख्य कथन: मुख्य अंश 1. मैं खूब जनता हूँ , भगवंत बड़ा जालिम हैं। लाखों रुपया रैय्यत को लूटकर जमा कर लिए हैं। अभी तक ऑनरेरी मजिस्ट्रेट था , इस साल राय साहब भी हो गया।– मुरारीलाल 2. मैं रगड़कर मार डालूँगा। उसके बाप से 15 साल बड़ा हूँ। इस लड़के के साथ मैं सुलह करूंगा!- भगवंत सिंह (चाचा-भतीजे की लड़ाई) 3. परिवार का कोई व्यक्ति मरता है तो दुख होता ही है। लेकिन कोई करे तो क्या करे ? संसार में कोई भी पूरे तौर पर सुखी तो नहीं रह पाता। यही संसार की लीला है।– मुरारीलाल 4. राय साहब है न , हाँ! ऑनरेरी मजिस्ट्रेट हैं- गिरफ्तारी नहीं हुआ.... होगा भी नहीं..... रुपया होना चाहिए। खून छिपा लेना क्या है ?- माहिर अली 5. मनुष्य का...